Thursday, August 15, 2024

Raksha Bandhan - रक्षा बंधन - अटूट बंधन का उत्सव


भारत दर्शन की ओर से रक्षा बंधन की शुभकामनाएँ!

रक्षा बंधन: अटूट बंधन का उत्सव

भाई-बहन के बीच अटूट बंधन का प्रतीक रक्षा बंधन का त्यौहार बस आने ही वाला है! 19 August 2024 को मनाया जाने वाला यह शुभ अवसर भाई-बहनों के बीच मौजूद शाश्वत प्रेम और विश्वास का प्रमाण है।

इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर पवित्र धागा या 'राखी' बाँधती हैं, उनकी सुरक्षा और सलामती की प्रार्थना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को हर तरह की परेशानी से बचाने और जीवन भर उनका साथ देने का वादा करते हैं।


रक्षा बंधन भाई-बहनों के बीच निस्वार्थ प्रेम और स्नेह का उत्सव है। यह खुशी, हँसी और यादों की याद दिलाता है जो हमारे रिश्तों को इतना खास बनाती हैं।
आइए इन बंधनों को मजबूत करने और इस रक्षा बंधन को यादगार बनाने के लिए एक साथ आएं!


रक्षा बंधन का सामाजिक आधार : Rakshabandhan in today's society

भारत के राजस्थान राज्य में इस इद्न रामराखी और चूडा राखी बांधने की परम्परा है. राम राखी केवल भगवान को ही बांधी जाती है. व चूडा राखी केवल भाभियों की चूडियों में ही बांधी जाती है. यह रेशमी डोरे से राखी बनाई जाती है. यहां राखी बांधने से पहले राखी को कच्चे दूध से अभिमंत्रित किया जाता है. और राखी बांधने के बाद भोजन किया जाता है. राखी के अन्य रुप :The many forms of Rakhi
भारत में स्थान बदलने के साथ ही पर्व को मनाने की परम्परा भी बदल जाती है, यही कारण है कि तमिलनाडू, केरल और उडीसा के दक्षिण में इसे अवनि अवितम के रुप में मनाया जाता है. इस पर्व का एक अन्य नाम भी है, इसे हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन से पहले तक ठाकुर झुले में दर्शन देते है, परन्तु रक्षा बंधन के दिन से ये दर्शन समाप्त होते है.

रक्षा बंधन के पौराणिक आधार : The Pauranik significance of Rakshabandhan
पुराणों के अनुसार रक्षा बंधन पर्व लक्ष्मी जी का बली को राखी बांधने से जुडा हुआ है. कथा कुछ इस प्रकार है. एक बार की बात है, कि दानवों के राजा बलि ने सौ यज्ञ पूरे करने के बाद चाहा कि उसे स्वर्ग की प्राप्ति हो, राजा बलि कि इस मनोइच्छा का भान देव इन्द्र को होने पर, देव इन्द्र का सिहांसन डोलने लगा.

घबरा कर इन्द्र भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं और उनसे प्राथना करते हैं जिसके फलस्वरूप भगवान विष्णु वामन अवतार ले, ब्राह्माण वेश धर कर, राजा बलि के यहां भिक्षा मांगने पहुंच गयें. ब्राह्माण बने श्री विष्णु ने भिक्षा में तीन पग भूमि मांग ली. राजा बलि अपने वचन पर अडिग रहते हुए, श्री विष्णु को तीन पग भूमि दान में दे दी.

वामन रुप में भगवान ने एक पग में स्वर्ग ओर दूसरे पग में पृ्थ्वी को नाप लिया. अभी तीसरा पैर रखना शेष था. बलि के सामने संकट उत्पन्न हो गया. ऎसे मे राजा बलि अपना वचन नहीं निभाता तो अधर्म होगा है. आखिरकार उसने अपना सिर भगवान के आगे कर दिया और कहां तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए. वामन भगवान ने ठीक वैसा ही किया, श्री विष्णु के पैर रखते ही, राजा बलि परलोक पहुंच गया.

बलि के द्वारा वचन का पालन करने पर, भगवान विष्णु अत्यन्त प्रसन्न्द हुए, उन्होंने आग्रह किया कि राजा बलि उनसे कुछ मांग लें. इसके बदले में बलि ने रात दिन भगवान को अपने सामने रहने का वचन मांग लिया., श्री विष्णु को अपना वचन का पालन करते हुए, राजा बलि का द्वारपाल बनना पडा. इस समस्या के समाधान के लिये लक्ष्मी जी को नारद जी ने एक उपाय सुझाया. लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर उसे राखी बांध अपना भाई बनाया और उपहार स्वरुप अपने पति भगवान विष्णु को अपने साथ ले आई. इस दिन का यह प्रसंग है, उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी. उस दिन से ही रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाने लगा.



Advertisement
Click on below Link For Your Tour Plan with Loveable Voyages
Loveable Voyages


No comments:

Post a Comment

Search This Blog

Powered by Blogger.

दुधिया बाबा मंदिर

दुधिया बाबा मंदिर,रुद्रपुर, उत्तराखंड रुद्रपुर, उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में स्थित दुधिया मंदिर (या दुधिया बाबा मंदिर) एक प्...